सावित्री गायत्री मंत्र का संबंध देवी सावित्री से है, जो ज्ञान और विवेक की देवी मानी जाती हैं। Savitri Gayatri Mantra का उच्चारण करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वह अपने जीवन में किसी भी प्रकार के अंधकार से बाहर निकलकर ज्ञान की ओर अग्रसर होता है। यह मंत्र हमें आत्मिक शुद्धता, ज्ञान, और शक्ति प्राप्त करने की ओर प्रेरित करता है।
इस गायत्री मंत्र का अर्थ बहुत ही व्यापक है जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है। यह मंत्र एक उच्च स्तरीय ध्यान साधना का हिस्सा बनकर जीवन को समृद्ध और शांति से भरपूर बनाता है। इस अद्भुत मंत्र को हमने यहां आपके लिए उपलब्ध कराया है –
मंत्र
औं अपराजितायै विद्महे शत्रु निशूदिन्यै धीमहि,
तन्नो प्रत्यङ्गिरा प्रचोदयात्।
यह मंत्र साधना न केवल आंतरिक शांति का स्रोत है, बल्कि यह जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक दिव्य शक्ति प्रदान करता है। यह मंत्र और गायत्री मंत्र दोनों ही वैदिक मंत्र है जो सूर्यदेव की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतिक है इसलिए इसके बाद सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
Savitri Gayatri Mantra की जप विधि
- शुद्धि और तैयारी: मंत्र के जाप से पहले शरीर और मन की शुद्धि आवश्यक होती है। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए, ताकि शरीर पवित्र बना रहे।
- स्थान: जाप करने के लिए एक शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ स्थान चुनना चाहिए, जहाँ किसी प्रकार की रुकावट न हो। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह दिशा सूर्य देवता और आध्यात्मिक ऊर्जा से संबंधित होती है।
- ध्यान और संकल्प: मंत्र का जाप शुरू करने से पहले कुछ क्षण आँखें बंद करके गहरी साँस लेनी चाहिए और मन को शांत करना चाहिए। यह संकल्प लेना चाहिए कि यह जाप आत्मिक शुद्धि, ज्ञान और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए किया जा रहा है। संकल्प के साथ मन और हृदय में सच्ची श्रद्धा और विश्वास होना जरूरी है, क्योंकि मंत्र तभी प्रभावशाली होता है जब इसे पूर्ण निष्ठा के साथ जपा जाता है।
- मंत्र जाप: गायत्री मंत्र को स्पष्ट उच्चारण के साथ श्रद्धा भाव से बोलना चाहिए। मंत्र को धीरे-धीरे, सहज गति में और पूरी भावना के साथ दोहराना चाहिए। जाप के लिए तुलसी या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जा सकता है, जिससे 108 बार मंत्र का उच्चारण करना अधिक लाभकारी होता है। यदि माला उपलब्ध न हो, तो मानसिक रूप से भी जाप किया जा सकता है।
- एकाग्रता: मंत्र जाप करते समय मन को एकाग्र बनाए रखना आवश्यक होता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि विचार भटकने न पाएँ। सूर्य देवता के दिव्य प्रकाश की कल्पना करनी चाहिए और यह महसूस करना चाहिए कि यह प्रकाश हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा और ज्ञान भर रहा है।
- जाप समाप्ति: जब निर्धारित संख्या में मंत्र जाप पूरा हो जाए, तो कुछ क्षण मौन रहकर इसकी ऊर्जा को अनुभव करना चाहिए। इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर देवी सावित्री और सूर्य देव का धन्यवाद करना चाहिए और आशीर्वाद की प्रार्थना करनी चाहिए।
मंत्र जाप के लाभ
- मानसिक शांति: इस मंत्र के जाप से मन को गहरी शांति प्राप्त होती है। मानसिक तनाव, चिंता और व्याकुलता कम होती है, जिससे एकाग्रता और ध्यान क्षमता बढ़ती है। जो लोग लगातार व्यस्त दिनचर्या या मानसिक दबाव में रहते हैं, उनके लिए यह मंत्र बहुत लाभकारी होता है।
- आत्मिक शुद्धि: यह मंत्र आत्मा को शुद्ध करता है और भीतर छुपी दिव्य चेतना को जाग्रत करता है। इसके नियमित जाप से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से उन्नत होता है और अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में सक्षम होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बनाता है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है। नकारात्मक विचार, भय, अवसाद और नकारात्मक शक्तियाँ इस मंत्र के प्रभाव से कमजोर हो जाती हैं, जिससे जीवन में शांति और स्थिरता बनी रहती है।
- बुद्धि और विवेक: इस मंत्र का संबंध ज्ञान और प्रकाश से है, जिससे बुद्धि और विवेक का विकास होता है। यह स्मरण शक्ति को तेज करता है और सही निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। विद्यार्थियों और बौद्धिक कार्यों में लगे लोगों के लिए यह मंत्र विशेष रूप से लाभकारी है।
- स्वास्थ्य: मंत्र जाप से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है, जिससे तनाव और चिंता से संबंधित बीमारियाँ कम होती हैं। नियमित रूप से इसका जाप करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
- आत्मविश्वास: इस मंत्र के नियमित उच्चारण से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच का विकास होता है। यह जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है और मनोबल को बढ़ाता है।
- सुख-शांति: जो व्यक्ति इस मंत्र का नित्य जाप करता है, उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह मंत्र सौभाग्य और सफलता को आकर्षित करता है, जिससे व्यक्ति के कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- शुद्धिकरण: इस मंत्र का जाप करने से पिछले और वर्तमान जीवन के नकारात्मक कर्मों का शुद्धिकरण होता है। यह व्यक्ति को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है और उसे सत्य, धर्म और सेवा की राह पर अग्रसर करता है।
- परिवार में शांति: यदि इस मंत्र का जाप घर में किया जाए, तो परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम, आपसी समझ और सद्भाव बढ़ता है। यह घर के वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाता है, जिससे गृहस्थ जीवन में शांति बनी रहती है।
- कृपा प्राप्ति: यह मंत्र सूर्य देवता और देवी सावित्री की कृपा प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली माध्यम है। इनके आशीर्वाद से जीवन में उज्ज्वलता, सफलता और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त होता है।
यह मंत्र केवल एक साधारण मंत्र नहीं, बल्कि जीवन को ऊर्जावान, संतुलित और सफल बनाने का एक दिव्य साधन है। इसका नियमित जाप व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाता है।
FAQ
क्या मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है?
हां, इसे किसी भी समय जपा जा सकता है, लेकिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इसका जाप सबसे अधिक फलदायी माना जाता है।
क्या यह मंत्र सभी के लिए उपयुक्त है?
हां, यह मंत्र सभी जाति, धर्म, आयु और लिंग के लोगों के लिए उपयुक्त है। कोई भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका जाप कर सकता है और इसके लाभ प्राप्त कर सकता है।
सावित्री गायत्री मंत्र और गायत्री मंत्र में क्या अंतर है?
गायत्री मंत्र माँ गायत्री को समर्पित है, जो वेदों की देवी और ज्ञान की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। वहीं, सावित्री माँ का गायत्री मंत्र विशेष रूप से देवी सावित्री और सूर्य देव की आराधना का मंत्र है, जो जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और सत्य का संचार करता है।
कितने दिनों तक इस मंत्र का जाप करना चाहिए?
मंत्र जाप की कोई निश्चित अवधि नहीं है। इसे प्रतिदिन जपना सबसे अच्छा होता है, लेकिन कम से कम 21, 40 या 108 दिनों तक इसका निरंतर जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।