भारतीय संस्कृति और धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व है। मंत्र केवल शब्दों का संयोजन नहीं, बल्कि ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत होते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण मंत्र है नवग्रह गायत्री मंत्र, जो नौ ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए उपयोग किया जाता है। Navagraha Gayatri Mantra का जप ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने और उनके सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने में सहायक होता है।
हिंदू धर्म में नवग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये नौ ग्रह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। इस गायत्री मंत्र को जपने से इन ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता का आगमन होता है। यहां हमने आपके लिए इन नौ ग्रह के गायत्री मंत्रों को नीचे उपलब्ध कराया है –
मंत्र
सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ भास्कराय विद्मिहे महातेजाय धीमहि, तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात।
चंद्र गायत्री मंत्र
ॐ क्षीरपुत्राय विद्मिहे मृतात्वाय धीमहि, तन्नम्चंद्र: प्रचोदयात।
भौमा गायत्री मंत्र
ॐ अंगारकाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि, तन्नो: भौम प्रचोदयात।
बुध गायत्री मंत्र
ॐ सौम्यरुपाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि, तन्नो: बुध: प्रचोदयात।
बृहस्पति गायत्री मंत्र
ॐ गुरुदेवाय विद्मिहे वाणेशाय धीमहि, तन्नो: गुरु: प्रचोदयात।
शुक्र गायत्री मंत्र
ॐ भृगुसुताय विद्मिहे दिव्यदेहाय धीमहि, तन्नो: शुक्र: प्रचोदयात।
शनि गायत्री मंत्र
ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो: सौरि: प्रचोदयात।
राहु गायत्री मंत्र
ॐ शिरोरुपाय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि, तन्नो: राहु: प्रचोदयात।
केतु गायत्री मंत्र
ॐ गदाहस्ताय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि, तन्नो: केतु: प्रचोदयात।
इस मंत्र का जप ज्योतिषीय दोषों को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। ऐसे ही rahu gayatri mantra, rudra gayatri mantra और pitra gayatri mantra ये सभी मंत्र भी आपके ज्योतिष दोष को दूर करते है आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होते है।
Navagraha Gayatri Mantra जपने की विधि
- पवित्रता: नवग्रह गायत्री मंत्र जपने से पहले तन और मन की शुद्धता आवश्यक है। प्रातःकाल स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को शुद्ध करें। पूजा स्थान को स्वच्छ और शांत बनाए रखें। वहाँ दीपक और धूप जलाना शुभ माना जाता है।
- आसन का चयन: मंत्र जप के लिए एक कुश का आसन या साफ सूती कपड़े का उपयोग करें। उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना सर्वोत्तम होता है। इससे ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में होता है।
- ध्यान : मंत्र जप से पहले ध्यान करें और ईश्वर से प्रार्थना करें कि आपका मन स्थिर और शांत रहे। यह ध्यान आपके मंत्र जप को अधिक प्रभावशाली बनाता है।
- माला का उपयोग: मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें। माला के प्रत्येक मोती पर मंत्र का उच्चारण करें और जप करते समय माला को अपनी दाहिनी हाथ की मध्यमा और अंगूठे के बीच पकड़ें। ध्यान रखें कि माला को कभी जमीन पर न रखें।
- उच्चारण: मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही ढंग से करें। इसे धीमे स्वर में जपना सबसे अच्छा माना जाता है, ताकि आपकी एकाग्रता बनी रहे और ऊर्जा का संचय हो।
- संकल्प: मंत्र जप से पहले संकल्प लें कि आप इसे अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने या किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए कर रहे हैं। इसे नियमित रूप से 108 बार या अधिक बार जपें। प्रातःकाल और संध्या का समय मंत्र जप के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
- समापन: मंत्र जप समाप्त करने के बाद पुनः ध्यान करें और ईश्वर को धन्यवाद दें। अपने मन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव करें।
इस प्रकार यह गायत्री मंत्र जपने से आपके जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक संतुलन स्थापित होता है। यह विधि न केवल ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करती है, बल्कि जीवन को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करती है।
इस मंत्र जाप के लाभ
मंत्र के जाप के अनेक लाभ हैं, जो व्यक्ति के जीवन को स्थिर और सुखमय बनाने में सहायक होते हैं। आइए जानें इसके प्रमुख लाभ-
- ग्रह दोष निवारण: यह मन्त्र उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जिनके जीवन में किसी ग्रह का दोष हो या जिन्हें शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों से परेशानियाँ हो रही हों।
- मानसिक शांति: गायत्री मन्त्र के जाप से मन में शांति और संतुलन आता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को दूर करने में सहायक होता है।
- समृद्धि और सफलता: नवग्रह मंत्र के जाप से व्यक्ति को समृद्धि, सुख और सफलता प्राप्त होती है। खासकर जिनकी करियर या व्यापार में समस्याएँ आ रही हैं, उन्हें यह मन्त्र विशेष लाभ देता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: नवग्रह गायत्री मन्त्र शरीर को भी मजबूत और स्वस्थ बनाने में मदद करता है। यह स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में सहायक हो सकता है।
- कर्मों का सुधार: यह मन्त्र व्यक्ति के कर्मों को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है और अच्छे कर्मों के फल को प्राप्त करने में मदद करता है।
- संबंध: यह मन्त्र रिश्तों में सुधार करने और परिवार के बीच सामंजस्य स्थापित करने में भी सहायक होता है। इसके जाप से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
यदि हम इसे सही विधि से नियमित रूप से इसका जाप करें, तो यह हमारे जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता लाने में मदद करेगा। याद रखें कि मन्त्र का प्रभाव हमारी श्रद्धा, विश्वास और निरंतर प्रयासों पर निर्भर करता है।
FAQ
इसका जाप करने के बाद क्या कोई विशेष पूजा करनी चाहिए?
ये आपकी इच्छा और स्ढ्ढ पर निर्भर करता है। आप चाहे तो पूजा कर भी सकते है। लेकिन बिना पूजा किये भी मंत्र का जाप किया जा सकता है।
मंत्र को कितने दिन तक जपना चाहिए?
मंत्र का जप कम से कम 40 दिन तक करना चाहिए। यदि आप कोई विशेष समस्या या ग्रह दोष से जूझ रहे हैं, तो 108 दिनों तक इसका जप करना अधिक लाभकारी हो सकता है।
इसके जप से शनि दोष में राहत मिल सकती है?
हां, इस गायत्री मंत्र का जप शनि के दोषों को शांत करने में मदद करता है। आप केवल शनि गायत्री मंत्र का जाप करके भी शनिदोष को दूर कर सकते है।
इस मंत्र का जप करने के दौरान कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए?
मंत्र का जप करते समय साधक को सफेद, पीला या हरा रंग के कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि ये रंग ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाते हैं और ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।