गायत्री मंत्र हिन्दू धर्म का एक प्रमुख और शक्तिशाली मंत्र है, इसी तरह का एक विशेष और शक्तिशाली मंत्र है नारायण गायत्री मंत्र, जो भगवान श्री विष्णु के अवतार श्री नारायण की उपासना के लिए जपा जाता है। Narayan Gayatri Mantra का जाप न केवल मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को समृद्ध और सफल बनाने के लिए भी अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो भौतिक और मानसिक तनाव से जूझ रहे होते हैं और उन्हें जीवन में संतुलन और शांति की आवश्यकता होती है। यहां इस मंत्र को विस्तार से आपके लिए उपलब्ध कराया गया है –
नारायण गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे,
वासुदेवाय धीमहि,
तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।
इस गायत्री मंत्र का अर्थ –
ॐ नारायणाय विद्महे – यानि कि हम भगवान श्री नारायण के परम स्वरूप को जानते हैं और उनका ध्यान करते हैं।
वासुदेवाय धीमहि – अर्थात हम भगवान वासुदेव (श्री कृष्ण) के ज्ञान और उनकी दिव्यता का ध्यान करते हैं।
तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् का अर्थ है कि वह भगवान विष्णु हमें सही दिशा, बुद्धि और शक्ति प्रदान करें ताकि हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें।
इस मंत्र के जाप से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जो संसार के पालनकर्ता और रक्षक हैं। अगर आप इनके साथ अन्य देवी देवताओं की भी कृपा दृष्टि प्राप्त करना चाहते है तो shiva gayatri mantra, brahma gayatri mantra और ganpati gayatri mantra को भी अपने मंत्र जाप में शामिल कर सकते है।
Narayan Gayatri Mantra की विधि
मंत्र का जाप करने के लिए कुछ विशेष नियमों और विधियों का पालन करना आवश्यक होता है। यहां हम मंत्र की विधि को विस्तार से जानेंगे-
- स्थान: इस गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए शांति और एकाग्रता की आवश्यकता होती है। इसलिए सबसे अच्छा है कि इसे किसी शांति स्थान पर किया जाए, जहां ध्यान भंग न हो।
- स्नान: इसके बाद आप स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन ले। शरीर और मन की शुद्धि के बिना मंत्र जाप करने से उसका पूरा प्रभाव नहीं मिलता। इसलिए स्नान करने के बाद ही मंत्र जाप करें।
- माला का प्रयोग: गायत्री मंत्र का जाप तुलसी की माला पर किया जाता है। तुलसी की माला विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा में उपयोगी मानी जाती है।
- चरण पादुका: इस पूजा विधि में भगवान श्री विष्णु के चरण पादुका (चरणों के निशान) की पूजा की जाती है। इस पूजा में भगवान के चरणों का ध्यान करते हुए मंत्र का जाप करना चाहिए।
- निष्कलंक मन: मंत्र जाप करते समय, व्यक्ति को मन, वचन और क्रिया से शुद्ध और निष्कलंक होना चाहिए। किसी भी प्रकार के विकार, गुस्से, या मानसिक विक्षेप से बचते हुए पूरी एकाग्रता के साथ मंत्र का जाप करना चाहिए।
- प्रत्येक दिन: इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए, ताकि इसका प्रभाव स्थायी हो सके।
सही विधि से जाप करने पर इसके प्रभाव और लाभ बढ़ जाते हैं। यह मंत्र व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करता है और उसे जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर प्रेरित करता है।
इस मंत्र के लाभ
मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। यहाँ हम कुछ प्रमुख लाभों का उल्लेख कर रहे हैं:
- मानसिक शांति: इसका जाप मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह मंत्र मानसिक तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों को समाप्त करता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- सुख और समृद्धि: इस मंत्र का जाप आर्थिक समृद्धि और जीवन में सुख लाने के लिए भी किया जाता है। यह व्यक्ति की दरिद्रता को दूर करके उसे धन-धान्य से भर देता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र आत्मा के शुद्धिकरण और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत लाभकारी है। इसका जाप करने से व्यक्ति के अंदर दिव्यता का संचार होता है और वह भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति में वृद्धि करता है।
- स्वास्थ्य: मंत्र के जाप से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाता है और जीवन में दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- दुर्भाग्य: यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकटों और कठिनाइयों को दूर करता है। यह दुर्भाग्य को समाप्त कर अच्छे समय की शुरुआत करता है।
- कृपा: मंत्र के जाप से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन को संकटमुक्त बनाती है और व्यक्ति को भगवान के आशीर्वाद से संपन्न करती है।
यह मंत्र एक अत्यधिक शक्तिशाली और लाभकारी मंत्र है। इसे नियमित रूप से और पूरे विश्वास के साथ किया जाए, तो यह मंत्र जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
FAQ
क्या मंत्र का जाप किसी विशेष पूजा के साथ करना आवश्यक है?
नहीं, इसे आप बिना पूजा के भी कर सकते है, लेकिन इसे सच्चे मन से करना आवश्यक है।
क्या मंत्र का जाप किसी विशेष दिन किया जा सकता है?
हाँ, इस गायत्री मंत्र का जाप विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के दिन जैसे वैकुंठ एकादशी, राम नवमी, आदि पर किया जाता है।
मंत्र का जाप कब किया जाना चाहिए?
मंत्र का जाप सुबह के समय, विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए, क्योंकि इस समय वातावरण शांत होता है और ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।