प्रत्यंगीरा देवी गायत्री मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र मंत्र है, जिसे देवी प्रत्यंगीरा की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है। देवी प्रत्यंगीरा को शक्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है, और वे विशेष रूप से संकटों और शत्रुओं से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती हैं। Pratyangira Devi Gayatri Mantra का जाप करने से व्यक्ति अपने जीवन में आ रही कठिनाइयों, मानसिक तनाव और शारीरिक कष्टों से उभर सकता है।
जब इस मंत्र का जाप श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाता है, तो व्यक्ति को आंतरिक शांति, आत्मविश्वास, और हर प्रकार के संकट से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है जो जीवन में असुरक्षा, भय या परेशानियों से जूझ रहे होते हैं। हमने आपके लिए यहां नीचे इस मंत्र को उपलब्ध कराया है –
मंत्र
औं अपराजितायै विद्महे शत्रु निशूदिन्यै धीमहि, तन्नो प्रत्यङ्गिरा प्रचोदयात्।
इस मंत्र का उच्चारण करते समय ध्यान और भक्ति की आवश्यकता होती है, क्योंकि देवी प्रत्यंगीरा की दिव्य शक्ति केवल सच्ची श्रद्धा और समर्पण से ही सक्रिय होती है। ऐसे भी दुर्गा गायत्री मंत्र, माँ काली गायत्री मंत्र और वराही गायत्री मंत्र का जप भी अपने नियमित जाप में शामिल करके इनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते है।
Pratyangira Devi Gayatri Mantra की जाप विधि
इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ किया जाता है, जिससे देवी प्रत्यंगीरा की कृपा प्राप्त की जा सकती है। इस मंत्र की जाप विधि कुछ इस प्रकार से है –
- शुद्धि क्रिया: जाप प्रारंभ करने से पहले, अपने शरीर और मन को शुद्ध करें। शारीरिक रूप से एक स्नान करें और मानसिक रूप से अपनी सभी नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करने का प्रयास करें।
- स्थान: मंत्र जाप के लिए एक शांत और शुद्ध स्थान का चयन करें, जहाँ आप बिना किसी विघ्न के ध्यान लगा सकें।
- संकल्प: इस मंत्र का जाप करने से पहले, अपने मन में एक दृढ़ संकल्प लें कि आप देवी प्रत्यंगीरा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस साधना में संलग्न हो रहे हैं। यह संकल्प आपके मनोबल को मजबूत करता है और आपको उद्देश्य के प्रति समर्पित रखता है।
- मंत्र का उच्चारण: प्रत्यंगीरा देवी गायत्री मंत्र को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ उच्चारित करें। मंत्र को शुद्ध उच्चारण के साथ प्रत्येक शब्द पर ध्यान केंद्रित करें। मंत्र का जाप 108 बार माला के साथ किया जा सकता है, या जितना संभव हो, उतना बार इसका उच्चारण करें।
- ध्यान: मंत्र का जाप करते समय, अपने मन को पूरी तरह से एकाग्र करें। ध्यान केंद्रित करते समय देवी प्रत्यंगीरा के दिव्य रूप का ध्यान करें। उनकी महिमा, शक्ति और कृपा को महसूस करें। मानसिक रूप से उन पर श्रद्धा और समर्पण की भावना रखें।
- समापन: जब आप पूरा जाप समाप्त कर लें, तो ध्यान से देवी प्रत्यंगीरा का आभार व्यक्त करें। उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को शुद्ध और सकारात्मक बनाने की प्रार्थना करें।
- समाप्ति के बाद: जाप के बाद, कुछ समय चुप रहकर अपने मन को शांति में डुबोएं। विश्वास रखें कि देवी की कृपा आपके जीवन में फैल रही है और आप हर दिशा में आंतरिक शक्ति और शांति का अनुभव करेंगे।
इस प्रकार, गायत्री मंत्र का जाप एक साधक को न केवल मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान करता है, बल्कि यह उसे आत्मिक उन्नति और जीवन में आई हर प्रकार की नकारात्मकता से मुक्त भी करता है।
इस गायत्री मंत्र के लाभ
मंत्र का जाप करने से कई अद्भुत और दिव्य लाभ प्राप्त होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन को न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाते हैं, बल्कि आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी मार्गदर्शन करते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और मानसिक अशांति से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। यह व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक वातावरण का निर्माण करता है, जिससे नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
- शत्रु नाश: देवी प्रत्यंगीरा की विशेष शक्ति से यह मंत्र शत्रुओं से रक्षा करता है। यदि आप किसी प्रकार की शारीरिक या मानसिक चुनौती का सामना कर रहे हैं, तो यह मंत्र शत्रुओं को पराजित करने और सुरक्षा प्रदान करने में मदद करता है।
- संकटों से मुक्ति: इस मंत्र का जाप संकटों, कष्टों और परेशानियों से उबारने का कार्य करता है। यह व्यक्ति को जीवन में आने वाली समस्याओं से उबरने और उन्हें हल करने की शक्ति देता है।
- आध्यात्मिक जागृति: इसका जाप करते हुए, व्यक्ति को आध्यात्मिक जागृति प्राप्त होती है। यह उसे अपनी आत्मा से जुड़ने और जीवन में उच्च उद्देश्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।
- आत्मविश्वास: इस मंत्र के जाप से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। व्यक्ति स्वयं में विश्वास रखता है और अपने निर्णयों में दृढ़ रहता है, जिससे वह जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होता है।
- शांति और संतुलन: मंत्र के जाप से मानसिक शांति, संतुलन और आंतरिक सौम्यता का अनुभव होता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और मानसिक स्थिति को स्थिर रखता है।
- समृद्धि का वर्धन: इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि और संपत्ति का वर्धन होता है। यह समृद्धि और सफलता की ओर एक मजबूत कदम बढ़ाने में मदद करता है।
- सकारात्मक विचार: यह मंत्र व्यक्ति के मन और विचारों को शुद्ध करता है, जिससे उसके विचार सकारात्मक होते हैं। यह उसे अपने जीवन में हर कार्य को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की क्षमता देता है।
जब इस मंत्र का जाप सच्चे विश्वास और श्रद्धा से किया जाता है, तो यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतुष्टि लाता है।
FAQ
क्या इस मंत्र का जाप घर पर किया जा सकता है?
हाँ, इस मंत्र का जाप घर पर भी किया जा सकता है। आपको एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनना चाहिए, जहाँ आप ध्यान केंद्रित कर सकें और बिना किसी विघ्न के जाप कर सकें।
क्या मंत्र का जाप करते समय कोई विशेष दिशा में बैठना चाहिए?
हां, इस मंत्र का जाप करते समय उत्तर या पूर्व दिशा में बैठना उत्तम माना जाता है, क्योंकि ये दिशाएँ सकारात्मक ऊर्जा से भरी होती हैं।
क्या इस मंत्र का जाप से कोई विशेष समय तक लाभ मिलता है?
हां, जब नियमित रूप से इस मंत्र का जाप किया जाता है, तो धीरे-धीरे इसके प्रभाव से जीवन में सुधार आना शुरू हो जाता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।