महामृत्युंजय गायत्री मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और दुर्लभ शिव गायत्री मंत्र है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए जाना जाता है। Mahamrityunjay Gayatri Mantra वैदिक परंपरा से जुड़ा हुआ है और इसका उल्लेख ऋग्वेद तथा यजुर्वेद में मिलता है।
इस मंत्र को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ और ‘ज्ञान एवं प्रकाश देने वाला’ कहा जाता है। इस मंत्र का जाप व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जाओं, भय, रोग और अकाल मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करता है। इसे “संजीवनी मंत्र” भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी ऊर्जा जीवन शक्ति को बढ़ाने वाली मानी गई है। हमने खास आपके लिए इस मंत्र को यहां उपलब्ध कराया है –
मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
जिस प्रकार सूर्य की किरणें अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाती हैं, वैसे ही महामृत्युंजय गायत्री मंत्र का प्रभाव हमारे जीवन से कष्टों का नाश कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसके अलावा आप शिव गायत्री मंत्र, रूद्र गायत्री मंत्र और काल भैरव गायत्री मंत्र का जाप भी आपकी आत्मा को गहरी शांति व मोक्ष की ओर ले जाने में सहायक होता है। इस मंत्रो के जाप से आपके भीतर भयमुक्ति, आत्मबल और चैतन्यता का संचार होता है।
Mahamrityunjay Gayatri Mantra की जाप विधि
इस मंत्र का जाप एक विशेष आध्यात्मिक साधना है, जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि प्रदान करता है। इसे करने के लिए श्रद्धा, विश्वास और सही नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
- सही समय: इस मंत्र का प्रभाव कभी भी लिया जा सकता है, लेकिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या रात के समय इसका जाप विशेष फलदायी माना जाता है। यदि संभव न हो, तो इसे शांत और पवित्र वातावरण में किसी भी समय किया जा सकता है।
- शुद्धि और आसन: मंत्र जाप से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके कुश या ऊनी आसन पर बैठें। यह आसन ऊर्जा संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
- ध्यान और संकल्प: आंखें बंद कर भगवान शिव का ध्यान करें। अपने मन में संकल्प लें कि इस मंत्र का जाप जीवन में शांति, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए कर रहे हैं।
- माला का प्रयोग: रुद्राक्ष की माला से 108 बार इस मंत्र का जाप करना उत्तम माना जाता है। हर मनका जपते समय मंत्र का उच्चारण करें और मन को पूरी तरह मंत्र की ऊर्जा में डुबो दें।
- सही उच्चारण: मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और भावपूर्ण होना चाहिए। धीमे स्वर में, ध्यानपूर्वक और श्रद्धा के साथ जाप करने से इसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
- समर्पण: जाप समाप्त होने के बाद कुछ समय तक मौन रहें और भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। ध्यान करें कि यह मंत्र आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा भर रहा है और समस्त नकारात्मकता का नाश कर रहा है।
- नियमितता: मंत्र का प्रभाव तभी गहरा होता है जब इसे नियमित रूप से श्रद्धा और आस्था के साथ किया जाए। निरंतर जाप करने से यह व्यक्ति को रोग, भय और संकटों से मुक्ति दिलाकर उसे दिव्य शक्ति और आत्मबल प्रदान करता है।
इस मंत्र का जाप करते समय सिर्फ शब्दों का उच्चारण ही न करें, बल्कि इसकी ऊर्जा को अपने मन, शरीर और आत्मा में महसूस करें। यही इसकी असली साधना और शक्ति है।
मंत्र जाप से होने वाले लाभ
इसके जाप से व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर गहरे परिवर्तन होते हैं।
- शारीरिक लाभ: इस मंत्र का नियमित जाप शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह गंभीर बीमारियों में आश्चर्यजनक रूप से राहत देने वाला और रोगों को जड़ से समाप्त करने वाला सिद्ध हुआ है। इसके कंपन शरीर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करते हैं, जिससे ऊर्जा स्तर बढ़ता है।
- मृत्यु पर विजय: इसे “संजीवनी मंत्र” भी कहा जाता है, क्योंकि यह मृत्यु के भय को समाप्त करता है और जीवन की ऊर्जा को पुनर्जीवित करता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु का संकट टल सकता है और गंभीर परिस्थितियों में भी व्यक्ति की रक्षा हो सकती है।
- मानसिक लाभ: यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है। नकारात्मक विचारों, भय, चिंता और अवसाद से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। इसके नियमित जाप से मन में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है।
- आध्यात्मिक लाभ: मंत्र का जाप साधक के भीतर आध्यात्मिक चेतना को जागृत करता है। यह आत्मा को शुद्ध करता है और ईश्वर के प्रति आस्था को मजबूत करता है। यह मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है और साधक को गहरी शांति व आनंद की अनुभूति कराता है।
- भय से रक्षा: इस मंत्र को एक शक्तिशाली रक्षक कवच माना गया है। यह व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर और अकाल मृत्यु के भय से बचाता है। जीवन में आने वाले संकटों को टालने और अनिष्ट शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुआ है।
- शुद्धिकरण: इस मंत्र का जाप न केवल वर्तमान जीवन को सुधरता है, बल्कि पिछले जन्मों के नकारात्मक कर्मों के प्रभाव को भी कम करता है। यह व्यक्ति के भाग्य को सकारात्मक दिशा में मोड़ने का कार्य करता है।
- पारिवारिक सुख: यदि परिवार में क्लेश, असंतोष या अशांति बनी रहती है, तो इस मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे घर-परिवार में प्रेम, सद्भाव और सुख-शांति बनी रहती है।
यह मंत्र केवल एक आध्यात्मिक साधना नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने वाली शक्ति है। जब इसे पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ जपा जाता है, तो यह अपने चमत्कारी प्रभावों से जीवन में अद्भुत परिवर्तन लाने में सक्षम होता है।
FAQ
इस गायत्री मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
इसे 108 बार (एक माला), 1008 बार (दस माला) या विशेष साधनाओं में 1.25 लाख बार जपा जाता है। स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रतिदिन कम से कम 11 या 21 बार जाप करने की सलाह दी जाती है।
क्या इस मंत्र को बिना दीक्षा लिए जपा जा सकता है?
हाँ, कोई भी श्रद्धालु इस मंत्र का जाप कर सकता है। हालांकि, गुरु से दीक्षा लेकर जाप करने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
क्या यह मंत्र मृत्यु को टाल सकता है?
ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु का संकट टल सकता है और गंभीर परिस्थितियों में व्यक्ति की रक्षा हो सकती है।
क्या इस मंत्र को जल में मिलाकर पी सकते हैं?
हाँ, इस मंत्र का जाप करके जल पर अभिमंत्रित किया जा सकता है और फिर उसे पीने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।