गायत्री चालीसा हिंदू धर्म की एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तुति है, जो माँ गायत्री देवी को समर्पित है। गायत्री देवी को वेदों की माँ और सृष्टि की जननी माना जाता है। Gayatri Chalisa भक्तों के लिए न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मबल और मानसिक शांति लाने का एक माध्यम भी है। इस चालीसा के शब्दों में वह शक्ति और दिव्यता है, जो व्यक्ति के भीतर छिपी चेतना को जागृत कर सकती है।
इसमें 40 चौपाइयाँ हैं, जो माँ गायत्री की महिमा, उनके रूप, और उनकी कृपा से जीवन में आने वाले सकारात्मक बदलावों का वर्णन करती हैं। यह चालीसा, वेदों और उपनिषदों में वर्णित गायत्री मंत्र की शक्ति को विस्तार से समझने और उसके माध्यम से जीवन को शुद्ध और उन्नत करने की प्रेरणा देती है। यहां हमने आपके लिए इस शकितिशाली चालीसा के सम्पूर्ण लिरिक्स को निचे उपलब्ध कराया है।
गायत्री चालीसा
ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचण्ड,
शान्ति कान्ति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखण्ड ॥1॥
जगत जननी मङ्गल करनिं गायत्री सुखधाम,
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥2॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी,
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥3॥
अक्षर चौविस परम पुनीता,
इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥4॥
शाश्वत सतोगुणी सत रूपा, सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥
हंसारूढ सितंबर धारी, स्वर्ण कान्ति शुचि गगन-बिहारी ॥5॥
पुस्तक पुष्प कमण्डलु माला,
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥6॥
ध्यान धरत पुलकित हित होई,
सुख उपजत दुःख दुर्मति खोई ॥7॥
कामधेनु तुम सुर तरु छाया,
निराकार की अद्भुत माया ॥8॥
तुम्हरी शरण गहै जो कोई,
तरै सकल संकट सों सोई॥9॥
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली,
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥10॥
तुम्हरी महिमा पार न पावैं,
जो शारद शत मुख गुन गावैं ॥11॥
चार वेद की मात पुनीता,
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ॥12॥
महामन्त्र जितने जग माहीं,
कोई गायत्री सम नाहीं ॥13॥
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै,
आलस पाप अविद्या नासै ॥14॥
सृष्टि बीज जग जननि भवानी,
कालरात्रि वरदा कल्याणी ॥15॥
ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥16॥
तुम भक्तन की भकत तुम्हारे,
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥17॥
महिमा अपरम्पार तुम्हारी,
जय जय जय त्रिपदा भयहारी ॥18॥
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना,
तुम सम अधिक न जगमे आना ॥19॥
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा,
तुमहिं पाय कछु रहै न कलेसा ॥20॥
जानत तुमहिं तुमहिं है जाई,
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥21॥
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई,
माता तुम सब ठौर समाई ॥22॥
ग्रह नक्षत्र ब्रह्माण्ड घनेरे,
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥23॥
सकल सृष्टि की प्राण विधाता,
पालक पोषक नाशक त्राता ॥24॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी,
तुम सन तरे पातकी भारी ॥25॥
जापर कृपा तुम्हारी होई,
तापर कृपा करें सब कोई ॥26॥
मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें,
रोगी रोग रहित हो जावें ॥27॥
दरिद्र मिटै कटै सब पीरा,
नाशै दूःख हरै भव भीरा ॥28॥
गृह क्लेश चित चिन्ता भारी,
नासै गायत्री भय हारी ॥29॥
सन्तति हीन सुसन्तति पावें,
सुख संपति युत मोद मनावें ॥30॥
भूत पिशाच सबै भय खावें,
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥31॥
जे सधवा सुमिरें चित ठाई,
अछत सुहाग सदा शुबदाई ॥32॥
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी,
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥33॥
जयति जयति जगदंब भवानी,
तुम सम थोर दयालु न दानी ॥34॥
जो सद्गुरु सो दीक्षा पावे,
सो साधन को सफल बनावे ॥35॥
सुमिरन करे सुरूयि बडभागी,
लहै मनोरथ गृही विरागी ॥36॥
अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता,
सब समर्थ गायत्री माता ॥37॥
ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी,
आरत अर्थी चिन्तित भोगी ॥38॥
जो जो शरण तुम्हारी आवें,
सो सो मन वांछित फल पावें ॥39॥
बल बुधि विद्या शील स्वभाओ,
धन वैभव यश तेज उछाओ ॥40॥
सकल बढें उपजें सुख नाना,
जे यह पाठ करै धरि ध्याना ॥41॥
यह चालीसा भक्ति युत पाठ करै जो कोई,
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय।
इस चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के विचार शुद्ध होते हैं, मन की अशांति दूर होती है, और जीवन में सफलता के नए मार्ग खुलते हैं। इसके साथ आप गायंत्री मंत्र का जाप भी कर सकते है। और गायत्री मंत्र mp3 डाउनलोड करके गायत्री मंत्र रिंगटोन के रूप में लगा सकते है।
Gayatri Chalisa पाठ करने की विधि
चालीसा का पाठ एक अत्यंत सरल और प्रभावशाली आध्यात्मिक क्रिया है, जिसे आप अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं। इसे श्रद्धा और संपूर्ण मन से करने से मन को शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यहाँ चालीसा का पाठ करने की विधि दी गई है:
- स्थान: इस चालीसा पाठ के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। पाठ से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- स्थापना: अपने पूजा स्थान पर माँ गायत्री का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। एक साफ आसन पर बैठें और आसन का उपयोग केवल पूजा के लिए करें। माँ गायत्री के चित्र के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती, पुष्प, और नैवेद्य (फल या मिठाई) अर्पित करें।
- संकल्प लें: पाठ शुरू करने से पहले अपनी मनोकामना पूर्ण होने का संकल्प लें। हाथ में थोड़ा जल और फूल लेकर माँ गायत्री का स्मरण करें और प्रार्थना करें।
- गायत्री मंत्र : पाठ शुरू करने से पहले तीन बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
- चालीसा पाठ: पूरे मन और श्रद्धा के साथ चालीसा का पाठ करें। पाठ करते समय उच्चारण स्पष्ट और धीमा रखें, ताकि मन एकाग्र हो सके।
- ध्यान और प्रार्थना: पाठ पूरा होने के बाद माँ गायत्री का ध्यान करें और अपनी समस्याओं और इच्छाओं के लिए प्रार्थना करें।
- आरती: अंत में माँ गायत्री की आरती करें और उसके बाद प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- नियमितता: इसका का पाठ रोज़ाना करें। यदि संभव हो, तो इसे 11, 21, या 108 बार जपने का नियम बनाएं।
इस विधि से श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से मन को शांति, आत्मबल, और माँ गायत्री की कृपा प्राप्त होती है।
इस चालीसा के पाठ से होने वाले लाभ
इसका पाठ हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है। इसके नियमित पाठ से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि मानसिक शांति, आत्मविश्वास और जीवन की समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। यहाँ चालीसा पाठ के प्रमुख लाभ बताए गए हैं:
- तनावमुक्त जीवन: इस चालीसा का पाठ मन को शांत करता है और मानसिक तनाव को दूर करता है। इसके शब्दों की दिव्य ऊर्जा से मन में सकारात्मक विचारों का संचार होता है।
- नकारात्मक ऊर्जा: इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के चारों ओर एक दिव्य आभामंडल बनता है, जो नकारात्मक ऊर्जा, बुरी दृष्टि और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
- आत्मबल: इस चालीसा के प्रभाव से व्यक्ति के भीतर आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है। कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ: चालीसा का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। ध्यान और पाठ के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा से शरीर को नई ऊर्जा और शक्ति प्राप्त होती है।
- सकारात्मक बदलाव: इसका नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। इससे बुरी आदतें छूटती हैं और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: गायत्री देवी को वेदों की जननी माना जाता है। उनके चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- मनोकामना पूर्ति: श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। माँ गायत्री की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
- बौद्धिक विकास: इस चालीसा का पाठ बुद्धि और विवेक को जागृत करता है। विद्यार्थियों और ज्ञान प्राप्ति के इच्छुक लोगों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है।
नियमितता और श्रद्धा के साथ इस चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक जागरण की प्राप्ति होती है।
FAQ
इसका पाठ कब करना चाहिए?
इसका पाठ प्रातःकाल या संध्या समय करना सबसे शुभ माना जाता है। इसे शुद्ध मन और शांत वातावरण में पढ़ा जाना चाहिए।
क्या इस चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है?
हाँ, इसका पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है। लेकिन रविवार, एकादशी, पूर्णिमा, या विशेष पूजा के दिन इसका पाठ अधिक शुभ माना जाता है।
गायत्री माँ की चालीसा और गायत्री मंत्र में क्या अंतर है?
यह चालीसा देवी गायत्री की स्तुति में 40 छंदों की रचना है। जबकि गायत्री मंत्र एक पवित्र वैदिक मंत्र है, जो ऋग्वेद से लिया गया है। यह देवी गायत्री की उपासना का मूल मंत्र है।
क्या चालीसा का पाठ हर उम्र के लोग कर सकते हैं?
हाँ, इस चालीसा का पाठ हर उम्र के लोग कर सकते हैं। इसे पढ़ने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है, बस मन शुद्ध और एकाग्र होना चाहिए।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।