Dhanvantari Gayatri | धन्वंतरि गायत्री मंत्र

हर मंत्र अपने आप में एक ऊर्जा स्रोत होता है, जो हमारे जीवन को सकारात्मकता और शांति से भर देता है। ऐसा ही एक मंत्र है धन्वंतरि गायत्री मंत्र, जो भगवान धन्वंतरि को समर्पित है। धन्वंतरि जी आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं और उन्हें स्वास्थ्य एवं जीवन शक्ति का देवता कहा जाता है। Dhanvantari Gayatri मंत्र शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।

यह गायत्री मंत्र स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक है। जब हम इस मंत्र का जाप करते हैं, तो हमें ऐसा अनुभव होता है जैसे हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा हो। आपके जीवन को रोगमुक्त बनाने के लिए हमने इस मंत्र को यहां नीचे उपलब्ध कराया है –

मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलशा हस्थाय धीमहि, तन्नो धन्वन्तरि प्रचोदयात।

ॐ वासुदेवाय विद्महे वैध्यराजाय धीमहि, तन्नो धन्वन्तरि प्रचोदयात।

ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि, तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात्।

भगवान धन्वंतरि विष्णु के ही अवतार माने जाते हैं। इसलिए इनके मंत्र के दौरन आप विष्णु गायत्री मंत्र, लक्ष्मी गायत्री मंत्र और गणपति गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते है क्योकि धन्वतरि जी की पूजा धनतेरस के दिन की जाती है और उस दिन लक्ष्मी जी, गणेश जी और कुबेर महाराज की भी पूजा का विधान है

Dhanvantari Gayatri के उपयोग की विधि

इसका जाप करते समय सही विधि का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र को जपने की विधि सरल है, लेकिन इसमें भक्ति और ध्यान का होना आवश्यक है।

  1. स्नान: सुबह-सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और भगवान धन्वंतरि की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठें।
  2. स्थान का चयन: एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां आप ध्यानपूर्वक मंत्र का जाप कर सकें।
  3. दीपक और अगरबत्ती: पूजा के स्थान पर दीपक और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
  4. मंत्र का उच्चारण: ऊपर दिए गए धन्वंतरि गायत्री मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और धीमी गति में करें। 108 बार जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस मंत्र के जाप में समर्पण और भक्ति का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब आप इसे पूरी श्रद्धा के साथ जपते हैं, तो यह निश्चित रूप से आपके जीवन में चमत्कारिक बदलाव लाएगा।
  5. ध्यान : जाप करते समय ध्यान को भगवान धन्वंतरि पर केंद्रित करें। उनकी कृपा और आशीर्वाद की भावना मन में रखें।
  6. जल का उपयोग: जाप के बाद एक गिलास शुद्ध जल ग्रहण करें। इसे ‘ऊर्जा का जल’ माना जाता है, जो आपके शरीर को शुद्ध करता है।’
  7. नियमितता : मंत्र का जाप नियमित रूप से करें। मंत्र जाप के बाद दीपक और अगरबत्ती को किसिस सुरक्षित स्थान पर रख दें।

इस मंत्र को दिन में दो बार जपना अत्यंत फलदायी होता है। सुबह और रात के समय जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।

इस गायत्री मंत्र के लाभ

इस गायत्री मंत्र का प्रभाव केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है। यह मंत्र मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भी लाभकारी है।

  • शारीरिक स्वास्थ्य: इस मंत्र का जाप रोगों को समाप्त करने में सहायक है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और हमें स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
  • मानसिक शांति: नियमित जाप से मानसिक तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है। यह मन को शांत करता है और ध्यान को केंद्रित करता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह मंत्र आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है।
  • ऊर्जा: गायत्री मंत्र के जाप से शरीर में ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है। इसके साथ यह मंत्र हमारे के आसपास सकारात्मक वातावरण का निर्माण करता है, जो उसे आत्मविश्वास और प्रेरणा प्रदान करता है।
  • आयुर्वेदिक : भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक हैं, इसलिए यह मंत्र आयुर्वेदिक उपचार को और अधिक प्रभावी बनाता है।
  • निवारण: यह मंत्र जीवन में आने वाली बाधाओं को समाप्त करने और सफलता प्राप्त करने में सहायक है।
  • दर्द और कष्ट: इस मंत्र का जाप शारीरिक और मानसिक दर्द को कम करता है।
  • एकाग्रता: विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र एकाग्रता और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में सहायक है।
  • दीर्घायु: इस मंत्र का नियमित जाप व्यक्ति को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।

यह मंत्र न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है, बल्कि आत्मा को शुद्ध कर जीवन को एक नई दिशा देता है। इस मंत्र का नियमित जाप आपके जीवन को सकारात्मकता और ऊर्जा से भर देता है।

FAQ

क्या इस मंत्र का जाप बच्चे और बुजुर्गो दोनों के लिए लाभकारी है ?

इस मंत्र का जाप हर उम्र के व्यक्ति के लिए लाभकारी है। बच्चों में यह स्मरण शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ाता है। बुजुर्गों के लिए यह शारीरिक कष्टों को कम करने और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक है।

मंत्र का जाप करने के लिए कौन सा स्थान सबसे अच्छा है?

क्या गायत्री मंत्र का जाप माला से करना अनिवार्य है ?

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