बुद्ध गायत्री मंत्र भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओं और आध्यात्मिक ऊर्जा को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। Buddha Gayatri Mantra आत्मज्ञान, शांति और करुणा को जागृत करने में सहायक माना जाता है। बुद्ध की शिक्षाएं अहिंसा, ध्यान और ज्ञान पर आधारित हैं, और यह मंत्र उन्हीं गुणों को हमारी चेतना में स्थापित करने का एक माध्यम बनता है।
गायत्री मंत्र स्वयं ही एक पवित्र वैदिक मंत्र है, जिसे जब किसी देवता विशेष के नाम से जोड़ा जाता है, तो वह उनके दिव्य गुणों को समाहित कर लेता है। गौतम बुद्ध गायत्री मंत्र बुद्ध के तेज, करुणा और ज्ञान को हमारे जीवन में समाहित करने में मदद करता है। इसे जपने से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिव्य मंत्र के लिरिक्स इस प्रकार से है –
Buddha Gayatri Mantra
ॐ सौम्य-रूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि, तन्नो सौम्यः प्रचोदयात्।
अर्थ – हे बुद्ध, जिनका शुभ हाथी प्रतीक है, मुझे आपकी शरण में शांत चित्त होकर ध्यान करने दें। आप आनंद और शांति के अनंत सागर हैं—कृपया मेरी बुद्धि को निर्मल करें और मेरे मन को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करें, ताकि मैं सत्य और करुणा के मार्ग पर आगे बढ़ सकूं।
जो लोग ध्यान साधना में रुचि रखते हैं या अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, उनके लिए यह मंत्र विशेष रूप से लाभदायक हो सकता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध के साथ-साथ भगवान विष्णु और चंद्र देव की भी पूजा की जाती है, इसलिए आप चंद्र गायत्री मंत्र इन हिंदी और विष्णु गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें।
बुद्ध गायत्री मंत्र की जप विधि
- पवित्रता: मंत्र जाप शुरू करने से पहले स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र धारण करके अपने मन और शरीर को शुद्ध कर लें। मन को शांत और एकाग्र करें, ताकि मंत्र का प्रभाव गहरा हो।
- सही स्थान: सुबह या शाम के समय किसी शांत स्थान पर बैठें, जहाँ ध्यान में कोई बाधा न हो। यदि संभव हो तो पूजा स्थल, मंदिर, या किसी शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान पर जाप करें।
- ध्यान और आसन: सुखासन या पद्मासन में बैठकर कमर सीधी रखें। आँखें बंद करें और गहरी सांस लेते हुए अपना ध्यान बुद्ध की दिव्य उपस्थिति पर केंद्रित करें। मन में श्रद्धा और समर्पण का भाव बनाए रखें।
- मंत्र का जाप: माला का उपयोग करके 108 बार या अपनी क्षमता अनुसार इस मंत्र का जाप करें। मंत्र उच्च स्वर, मध्यम स्वर, या मानसिक रूप से जपा जा सकता है, लेकिन भावना और एकाग्रता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- समर्पण भावना: जप के दौरान बुद्ध के ज्ञान, करुणा और शांति का स्मरण करें। यह अनुभव करें कि उनकी कृपा से आपका मन शुद्ध हो रहा है और आंतरिक प्रकाश प्रकट हो रहा है।
- ध्यान: मंत्र जाप के बाद कुछ समय ध्यान करें। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और अनुभव करें कि बुद्ध की ऊर्जा आपके भीतर प्रवाहित हो रही है। अपनी बुद्धि और चित्त को शुद्ध और निर्मल बनाने का संकल्प लें।
- समापन: मंत्र जाप और ध्यान के बाद भगवान बुद्ध को धन्यवाद दें। उनके ज्ञान और करुणा को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें और फिर धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या में वापस लौटें।
बुद्ध ध्यान सिर्फ एक साधना नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। यह हमें आंतरिक शांति, करुणा और ज्ञान का मार्ग दिखाता है।
बुद्ध भगवान के गायत्री मंत्र का लाभ
- मन की स्थिरता: इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और व्यर्थ की चिंताओं से मुक्ति मिलती है। यह आंतरिक स्थिरता और संतुलन प्रदान करता है, जिससे जीवन में सुख और संतोष बढ़ता है।
- बुद्धि और ज्ञान: गौतम बुद्ध गायत्री मंत्र उच्च बुद्धि और विवेक को जागृत करता है। यह निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है और मन को स्पष्टता और तीव्रता प्रदान करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: मंत्र जाप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो नकारात्मकता को दूर करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनाता है।
- ध्यान और एकाग्रता: जो लोग ध्यान और साधना करते हैं, उनके लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी है। यह मन को एकाग्र करने में सहायता करता है और ध्यान को अधिक गहरा और प्रभावशाली बनाता है।
- क्रोध और अशांति: यह मंत्र मन में शांति और धैर्य उत्पन्न करता है, जिससे क्रोध, ईर्ष्या और द्वेष जैसे नकारात्मक भावों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह व्यक्ति को अधिक प्रेमपूर्ण और दयालु बनाता है।
- सशक्तिकरण: नियमित जाप से आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच बढ़ती है, जो व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाकर जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है।
- अहिंसा और करुणा: भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का सार अहिंसा और करुणा में निहित है। यह मंत्र इन गुणों को हमारे व्यक्तित्व में विकसित करने में सहायता करता है, जिससे हमारे व्यवहार में प्रेम और दया का संचार होता है।
- धार्मिक उन्नति: जो व्यक्ति मोक्ष, आत्मज्ञान, और शुद्धता की खोज में हैं, उनके लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है। यह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर सत्य और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करता है।
नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, मन शांत और निर्मल रहता है, और व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप की ओर अग्रसर होता है।
FAQ
मंत्र का जाप कब और कितनी बार करना चाहिए?
सुबह या शाम के समय शुद्ध मन और शांत वातावरण में इस मंत्र का जाप करना उत्तम माना जाता है। इसे 108 बार माला के साथ या अपनी क्षमता अनुसार जपा जा सकता है।
क्या इस मंत्र के जाप से बौद्ध धर्म अपनाना आवश्यक है?
नहीं, इस मंत्र किसी भी व्यक्ति द्वारा जपा जा सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म या विचारधारा से संबंधित हो।
क्या इस मंत्र का जाप करने से बौद्धिक क्षमता बढ़ती है?
हाँ, यह मंत्र उच्च ज्ञान और विवेक को जागृत करता है, जिससे व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति और निर्णय क्षमता मजबूत होती है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।