भूमि गायत्री मंत्र प्रकृति और पृथ्वी माता के प्रति हमारी श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का एक दिव्य माध्यम है। यह मंत्र धरती की ऊर्जा, स्थिरता और पोषण शक्ति को जागृत करता है, जिससे हमारे जीवन में संतुलन, शांति और समृद्धि का संचार होता है। Bhumi Gayatri Mantra का उच्चारण केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
पृथ्वी केवल एक ग्रह नहीं, बल्कि हमारी जननी है, जो हमें जीवन, भोजन, जल और आश्रय प्रदान करती है। इस मंत्र का जप हमें धरती के प्रति अपनी जिम्मेदारी की याद दिलाता है और हमारे मन, शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। भूमि देवी गायत्री मंत्र को हमने आपकी सुविधा के लिए यहां निचे उपलब्ध कराया है –
मंत्र
ॐ वसुधाराय विद्महे, भूतात्त्राय धीमहि।
तन्नो भूमिः प्रचोदयात्॥
अर्थ- ॐ – यह ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, जो हर ऊर्जा का स्रोत है।
वसुधाराय विद्महे – हम वसुंधरा (धरती माता) को जानने और समझने का प्रयास करें, जो हमें अन्न, जल और जीवन प्रदान करती हैं।
भूतात्त्राय धीमहि – हम उन भूमि माता का ध्यान करें, जो सभी जीवों की आधारशिला और पालनहार हैं।
तन्नो भूमिः प्रचोदयात् – वे माँ पृथ्वी हमें सद्बुद्धि दें, शक्ति प्रदान करें और हमारे जीवन में स्थिरता व समृद्धि लाएँ।
जो व्यक्ति इस मंत्र का श्रद्धा से जाप करता है, उसे मां पृथ्वी की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इसके अलावा आप पर्यावरण की रक्षा और अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के लिए agni gayatri mantra, vayu gayatri mantra और ganga gayatri mantra का जाप भी कर सकते है।
Bhumi Gayatri Mantra की जाप विधि
भूमि देवी गायत्री मंत्र का जाप एक सरल, परंतु अत्यधिक प्रभावी प्रक्रिया है। इस मंत्र का जाप करते समय ध्यान और श्रद्धा की आवश्यकता होती है, ताकि इसके लाभ सही तरीके से मिल सकें। जाप की विधि इस प्रकार है:
- स्थान और माहौल: जाप करते समय एक स्वच्छ स्थान चुनें, जहां आपको किसी प्रकार का विघ्न न हो। यदि संभव हो तो, आप किसी मंदिर या धार्मिक स्थान पर भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं, ताकि वहां की ऊर्जा से आपका मन और आत्मा शुद्ध हो सके।
- समय: जाप करने के लिए सबसे अच्छा समय प्रात:काल या संध्याकाल है। इस समय वातावरण शांत और प्रदूषणमुक्त होता है, जो आपके मन को एकाग्र करने में मदद करता है।
- मन की स्थिति: जाप करते समय, अपने शरीर को एक आरामदायक स्थिति में रखें। यह जरूरी है कि आपकी पीठ सीधी हो, ताकि ऊर्जा का प्रवाह सही ढंग से हो सके। आप पद्मासन या सुखासन में बैठ सकते हैं। आपकी आंखें बंद होनी चाहिए ताकि आप अपनी आंतरिक शांति को महसूस कर सकें।
- मंत्र का उच्चारण: भूमि गायत्री मंत्र को शुद्ध और सही तरीके से उच्चारण करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का उच्चारण “ॐ भूर्भुवः स्वः” के साथ शुरू करें। इसे धीरे-धीरे, स्पष्टता से और ध्यान के साथ उच्चारित करें। जब आप मंत्र का जाप करें, तो उसकी ध्वनि और शब्दों में पूरी श्रद्धा होनी चाहिए।
- आस्थाएँ और श्रद्धा: जब आप इस मंत्र का जाप करें, तो आपके दिल में पृथ्वी माता के प्रति आभार और श्रद्धा होनी चाहिए। यह मंत्र हमें पृथ्वी से जुड़ने और उसकी शक्ति का सम्मान करने की प्रेरणा देता है। इस जाप के दौरान, अपने मन में पृथ्वी की शक्ति, उसके संरक्षण और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- जप संख्या: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार किया जाना चाहिए। यदि आप इसे एक माला से जाप करते हैं, तो यह प्रक्रिया और भी सरल हो जाती है।
- नियमितता: नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। यदि आप इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम, करते हैं, तो इसका प्रभाव अधिक शक्तिशाली होता है।
यह हमें अपनी धरोहर और पर्यावरण की रक्षा के महत्व का एहसास कराता है। जब हम इस मंत्र का उच्चारण श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं, तो यह हमारे जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन लाता है।
इस गायत्री मंत्र के लाभ
इस मंत्र का जाप न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि मानसिक और भौतिक रूप से भी कई लाभ प्रदान करता है। जब इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ किया जाता है, तो इसके कई महत्वपूर्ण फायदे होते हैं-
- पृथ्वी से संबंध: भूमि देवी गायत्री मंत्र हमें पृथ्वी से अपने संबंध को समझने में मदद करता है। यह हमें यह एहसास कराता है कि हम पृथ्वी का हिस्सा हैं और उसकी रक्षा और सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।
- संतुलन: इसके जाप से मन की अशांति और मानसिक तनाव दूर होता है, जो मानसिक शांति और संतुलन को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति खुद को शांत और संतुष्ट महसूस करता है।
- आत्मविश्वास: इस मंत्र का जाप करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जब हम पृथ्वी के साथ जुड़ते हैं और उसकी शक्ति को समझते हैं, तो हमें अपने भीतर एक नई ऊर्जा और आत्म-विश्वास महसूस होता है।
- जागरूकता: यह मंत्र हमें पृथ्वी की महिमा और महत्व को समझाता है, जिसके कारण हम पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं। यह हमें पृथ्वी की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रेरित करता है, जिससे हमारा जीवन और हमारा पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहते हैं।
- ऊर्जा और शक्ति: इस मंत्र के जाप से हमारी आंतरिक ऊर्जा और शक्ति में वृद्धि होती है, जो हमें अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा देता है और जीवन के हर क्षेत्र में मजबूती प्रदान करता है।
- आत्मा की शुद्धि: इसके नियमित जाप से हमारे आंतरिक विचार और भावनाएँ शुद्ध होती हैं, जिससे हम अपने जीवन में अधिक सकारात्मक और प्रेमपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हैं।
- दुखों से मुक्ति: इस मंत्र का जाप करने से जीवन में आने वाली समस्याओं और दुखों से मुक्ति मिलती है। यह हमारे जीवन को स्थिर और सुखमय बनाता है, और किसी भी प्रकार की कठिनाइयों से उबरने की शक्ति प्रदान करता है।
जब हम इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं, तो यह हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
FAQ
इस गायत्री मंत्र का जाप क्यों किया जाता है?
इस मंत्र का जाप पृथ्वी माता की कृपा प्राप्त करने, स्थिरता, धैर्य और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है।
क्या इस मंत्र का प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता है?
बिल्कुल! यह मंत्र हमें धरती के प्रति कृतज्ञता और प्रेम का भाव सिखाता है। जब हम धरती माता की रक्षा और सम्मान करने का संकल्प लेते हैं, तो पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति का संतुलन बना रहता है।
क्या इस मंत्र का जाप किसी विशेष दिन करना चाहिए?
शुक्रवार और अमावस्या के दिन इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, किसी नई यात्रा, नए घर में प्रवेश या खेती शुरू करने से पहले इसका जाप करना भी लाभकारी होता है।
क्या मंत्र का जाप केवल श्रद्धालु ही कर सकते हैं?
नहीं, मंत्र का जाप कोई भी व्यक्ति कर सकता है, जो पृथ्वी और पर्यावरण के प्रति श्रद्धा रखता हो और शांति की प्राप्ति चाहता हो।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।