Ashtalakshmi Gayatri Mantra | अष्टलक्ष्मी गायत्री मंत्र: दिव्य शक्ति का आह्वान

अष्टलक्ष्मी गायत्री मंत्र सिर्फ एक प्रार्थना नहीं, बल्कि अखंड समृद्धि और सुख-शांति का स्रोत है। Ashtalakshmi Gayatri Mantra मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की आराधना के लिए जपा जाता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और शुभता का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। अष्टलक्ष्मी का अर्थ है आठ लक्ष्मियाँ जो हैं – धन लक्ष्मी, धैर्य लक्ष्मी, शिक्षा लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, स्वास्थ्य लक्ष्मी, कीर्ति लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, और समुद्र लक्ष्मी।

ये न केवल भौतिक संपदा बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करती हैं। यह लक्ष्मी गायत्री मंत्र एक दिव्य ऊर्जा है, जो बाधाओं को दूर कर सकारात्मकता और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। यह मंत्र आर्थिक समृद्धि, सुख, शांति, और समग्र विकास की प्राप्ति में मदद करता है। इस दिव्य गायत्री मंत्र को हमने आपके लिए यहां उपलब्ध कराया है जो इस प्रकार से है –

Ashtalakshmi Gayatri Mantra

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णु पत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्॥

अर्थ- हम श्री महालक्ष्मी को जानने और समझने का प्रयास करें, जो संपूर्ण सृष्टि की पालनहार और सौभाग्य की अधिष्ठात्री हैं। वे भगवान विष्णु की शक्ति स्वरूपा हैं, जो संतुलन और धर्म की स्थापना करती हैं। हम उनका ध्यान करें ताकि उनकी दिव्य कृपा से हमारी बुद्धि प्रबुद्ध हो, हमें सही मार्गदर्शन मिले और जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और शांति का संचार हो।

जो भी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस मंत्र का जाप करता है, उसके जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और आत्मिक शांति का संचार होता है। इसके साथ आप विष्णु गायत्री मंत्र का जप जरूर कर्रे। इससे लक्ष्मी माँ की कृपा शीघ्र प्राप्त होगी और साथ ही विष्णु भगवान के आशीर्वाद से भी आपका जीवन समृद्ध होगा।

अष्टलक्ष्मी गायत्री मंत्र की जाप विधि

इस मंत्र का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाता है। इसे सही विधि से जाप करना बहुत जरूरी है, ताकि इसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।

  1. पवित्र स्थान: मंत्र जाप करने के लिए सबसे पहले एक शांति से भरा और साफ-सुथरा स्थान चुनें। यदि आप घर में इसका जाप कर रहे हैं, तो एक शांत कमरे में जाएं जहाँ कोई विघ्न न हो। स्वच्छता का ध्यान रखें और जगह को पूजा के लिए तैयार करें।
  2. स्नान और शुद्धि: जाप से पहले स्नान करना और शरीर को शुद्ध करना आवश्यक है। यह न केवल शारीरिक रूप से आपको शुद्ध करता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी तैयार करता है।
  3. मंत्र का उच्चारण: इस गायत्री मंत्र का सही उच्चारण महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ करना चाहिए। मंत्र को बोलते समय शब्दों की स्पष्टता पर ध्यान दें। मंत्र का जाप एकाग्रचित्त होकर करें, ताकि आपकी ऊर्जा इस मंत्र में पूरी तरह से समाहित हो सके।
  4. जप संख्या: इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार माला से करें। आप माला का उपयोग करने से मन को एकाग्र रखने में मदद मिलती है, और हर माला की मणि पर मंत्र का उच्चारण करने से जाप की संख्या पूरी होती है।
  5. ध्यान : जब आप मंत्र का जाप कर रहे होते हैं, तो अपनी आंखें बंद करके ध्यान लगाएं। ध्यान केंद्रित करने के लिए आप भगवान लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने बैठ सकते हैं, या फिर उनकी तस्वीर को देखकर जाप कर सकते हैं। इस दौरान मन में केवल सकारात्मक विचार रखें और खुद को शांति से भरपूर महसूस करें।
  6. श्रद्धा और विश्वास: मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा, विश्वास और समर्पण के साथ करें। विश्वास और श्रद्धा से किया गया हर जाप आपकी साधना को सिद्ध करता है।

यदि आप इसे पूरी निष्ठा और प्रेम से करते हैं, तो इसका लाभ आपके जीवन में जल्द ही दिखाई देगा। इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से आपके जीवन में लक्ष्मी माता के आठ रूपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और आपकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

मंत्र जाप के फायदे

मंत्र का जाप करने से कई प्रकार के लाभ होते हैं, जो न केवल भौतिक बल्कि मानसिक और आत्मिक उन्नति में भी सहायक होते हैं।

  • धन और समृद्धि: इस मंत्र का जाप आर्थिक समृद्धि और धन की प्राप्ति में मदद करता है। जब यह मंत्र नियमित रूप से उच्चारित किया जाता है, तो यह आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकता है और धन की कमी को दूर कर सकता है।
  • आशीर्वाद: मंत्र का जाप करने से भगवान लक्ष्मी के आठ रूपों का आशीर्वाद मिलता है, जो जीवन के सभी पहलुओं में समृद्धि और सफलता की कुंजी होते हैं। यह मंत्र आपके जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि से भर देता है।
  • मानसिक शांति : यह मंत्र व्यक्ति के मन को स्थिर और शांत करता है, जिससे तनाव, चिंता और मानसिक उथल-पुथल को कम किया जा सकता है। जब आपका मन शांत होता है, तो आप किसी भी समस्या का समाधान शांतिपूर्वक और समझदारी से कर सकते हैं।
  • दीर्घायु: इस गायत्री मंत्र का जाप शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। यह शरीर को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है, जिससे आपको रोगों से बचने में मदद मिलती है, और साथ ही यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है और आपको स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है।
  • धैर्य में वृद्धि: इस मंत्र के जाप से आपके अंदर धैर्य और साहस की भावना बढ़ती है, जिससे कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए आपके भीतर एक आंतरिक शक्ति का संचार होता है, जो आपको जीवन में हर चुनौती का सामना करने की शक्ति देती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: मंत्र के नियमित जाप से आपकी आत्मिक शक्ति में वृद्धि होती है और आप अपने जीवन के उच्च उद्देश्य को समझने में सक्षम होते हैं। यह आपकी साधना को सिद्ध करता है और आध्यात्मिक मार्ग पर उन्नति करने में मदद करता है।

इस मंत्र का जाप न केवल भौतिक सुखों में वृद्धि करता है, बल्कि यह व्यक्ति के मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है, जिससे जीवन में समग्र रूप से सुधार होता है।

FAQ

क्या यह मंत्र सिर्फ धन प्राप्ति के लिए है?

नहीं, यह मंत्र केवल धन के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान, शक्ति, ऐश्वर्य, संतान सुख, विजय और आत्मिक शांति के लिए भी जपा जाता है।

मंत्र जप का सही समय क्या है?

क्या इस मंत्र को घर में जप सकते हैं?

क्या मंत्र का जाप पूरे परिवार के साथ किया जा सकता है?

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