Varahi Gayatri Mantra Lyrics | वराही गायत्री मंत्र लिरिक्स: एक दिव्य साधना

वराही गायत्री मंत्र लिरिक्स एक शक्तिशाली और दिव्य मंत्र के बोल है, जो विशेष रूप से देवी वराही के आशीर्वाद और शक्ति का वर्णन करता है। Varahi Gayatri Mantra Lyrics न केवल मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करता है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। यह मंत्र मानसिक क्लेश, मानसिक अवसाद, और शारीरिक कष्टों को दूर करने में मदद करता है।

वराही गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के भीतर आत्मबल, साहस और नकारात्मक शक्तियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही, यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो जीवन में किसी कठिनाई या संकट का सामना कर रहे हैं। इस अद्भुत गायत्री मंत्र लिरिक्स को हमने यहां आपके लिए उपलब्ध कराया है-

मंत्र

ॐ महिषध्वजयै विद्महे, दंडहस्तैै धीमहि, तन्नो वरही प्रचोदयात।

इसका नियमित रूप से जाप करने से जीवन में कई तरह के लाभ होते हैं, जो भक्तों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को समृद्ध बनाते हैं। यही नहीं राधा गायत्री मंत्र, माँ काली गायत्री मंत्र और सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप करने से भी आपके जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का सृजन होता है और आपकी सभी बाधाएं दूर हो जाती है इसलिए आज से ही इन मंत्रो का जप करना शुरू कर दें।

Varahi Gayatri Mantra Lyrics की जाप विधि

वराही गायत्री मंत्र का जाप करते समय कुछ विशेष नियमों और विधियों का पालन करना आवश्यक है, ताकि मंत्र के प्रभाव को सही रूप से अनुभव किया जा सके। नीचे दी गई जाप विधि का पालन करके आप वराही देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

  1. स्वच्छता: जाप शुरू करने से पहले, आपको स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। अब एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठें, जहां आप बिना किसी विघ्न के ध्यान केंद्रित कर सकें।
  2. आसन: अब आप फर्श पर कुशासन, ऊनासन या कंबल का आसन बिछाकर सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ सकते हैं। आसन पर बैठते समय आपकी रीढ़ सीधी और शरीर आरामदायक स्थिति में होना चाहिए।
  3. दीपक जलाएं: साधना की शुरुआत में एक घी का दीपक और धूप (अगरबत्ती) जलाएं। यह वातावरण को शुद्ध करता है और आपके मन को शांत करता है।
  4. मंत्र उच्चारण: अब वराही गायत्री मंत्र लिरिक्स का उच्चारण करें। इस मंत्र का जाप शांत और स्पष्ट रूप से करें। मंत्र का उच्चारण कम से कम 108 बार करें। इसके लिए आप रुद्राक्ष की माला या तुलसी माला का उपयोग कर सकते हैं।
  5. मन शांत करें: जाप करते समय मन को पूरी तरह से मंत्र में लगा लें और ध्यान केंद्रित करें। मानसिक शांति बनाए रखने के लिए गहरी और स्थिर सांस लें।
  6. प्रार्थना: जाप के दौरान देवी वराही की पूजा और ध्यान करें। आप उनके चित्र के सामने बैठकर उनकी महिमा का ध्यान कर सकते हैं और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना कर सकते हैं।
  7. धन्यवाद: मंत्र का जाप समाप्त करने के बाद कुछ समय के लिए शांत बैठें और वराही देवी का धन्यवाद करें। आप मानसिक रूप से यह प्रकट करें कि आपने अपना साधना पूरी श्रद्धा से की है और उनके आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करें।
  8. नियमितता: इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करें, खासकर रविवार, मंगलवार, या शुक्रवार जैसे शुभ दिनों पर। इसका प्रभाव अधिक तीव्र होता है यदि यह नियमित रूप से किया जाए।
  9. ध्यान दें: मंत्र का जाप शांतिपूर्ण और सकारात्मक वातावरण में करना चाहिए, ताकि उसका असर गहरा हो। साथ ही, इस मंत्र का जाप निरंतर विश्वास और श्रद्धा से करना चाहिए, ताकि मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त की जा सके।

इस गायत्री मंत्र के जाप से होने वाले लाभ

नीचे गायत्री मंत्र के जाप से होने वाले प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  • मानसिक शक्ति: वराही देवी का रूप महाशक्ति का है, और उनके मंत्र का जाप मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है। यह व्यक्ति को मानसिक दृढ़ता, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है, जिससे वह किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार रहता है।
  • नकारात्मकता: इस गायत्री मंत्र का जाप व्यक्ति को भय, चिंता और नकारात्मकता से मुक्त करता है। यह व्यक्ति को आंतरिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे जीवन में आने वाली कठिनाइयों को बेहतर तरीके से सामना किया जा सकता है।
  • विजय: वराही देवी की शक्ति शत्रुओं का नाश करने की है। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को अपने शत्रुओं से बचाव मिलता है और उन्हें हराने की क्षमता प्राप्त होती है।
  • समृद्धि: इस मंत्र का जाप व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और धन का मार्ग खोलता है। यह व्यक्ति को अच्छे भाग्य और संपत्ति की ओर आकर्षित करता है, जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: इसका नियमित जाप व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है और उसे आत्म-ज्ञान, आत्म-बोध और परमात्मा के निकटता की ओर अग्रसर करता है।
  • सुख-शांति: इस मंत्र का जाप परिवार में सुख, शांति और सामंजस्य बनाए रखता है। यह घरेलू जीवन में सामूहिक प्रेम और सहयोग को बढ़ाता है, जिससे परिवार के सदस्य एक-दूसरे के प्रति स्नेहपूर्ण होते हैं।।
  • आत्मविश्वास: इस मंत्र का जाप व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस को प्रबल करता है। यह उसे न केवल कठिन परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता देता है, बल्कि उसे आत्मनिर्भर और मजबूत बनाता है।

इसका जाप नियमित रूप से करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और व्यक्ति को एक शक्तिशाली, खुशहाल और समृद्ध जीवन की दिशा में अग्रसर किया जाता है।

FAQ

इस मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। आप इसे जपमाला का उपयोग करके भी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप इसे 11, 21, या 51 बार भी कर सकते हैं, लेकिन 108 बार सबसे प्रभावशाली माना जाता है।

क्या इस मंत्र का जाप केवल किसी विशेष दिन किया जा सकता है?

इस मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से रविवार, मंगलवार और शुक्रवार को इसका जाप अधिक फलदायी माना जाता है।

क्या मंत्र का जाप बिना आवाज के (मौन में) किया जा सकता है?

हाँ, आप इस मंत्र का मानसिक जाप भी कर सकते हैं। मौन में जपने से भी मंत्र का प्रभाव होता है, लेकिन यदि आप इसे उच्चारण के साथ करते हैं तो अधिक प्रभावी होता है।

क्या यह मंत्र पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं?

हाँ, मंत्र का जाप पुरुष और महिलाएं दोनों ही कर सकते हैं। यह मंत्र सभी के लिए उपयुक्त है और किसी भी धार्मिक या लिंग भेद के बिना सभी को समान रूप से आशीर्वाद देता है।

Spread the love

Leave a Comment