Sarpa Gayatri mantra | सर्प गायत्री मंत्र

सर्प गायत्री मंत्र का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक व्यापक है। Sarpa Gayatri mantra विशेष रूप से नाग देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए जपा जाता है। जब हम नाग देवताओं या सर्प दोष से जुड़ी समस्याओं की बात करते हैं, तो सर्प गायत्री मंत्र लिरिक्स का जाप अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष या अन्य नाग दोष है, तो इस मंत्र का जाप करने से इन सभी दोषों का निवारण किया जा सकता है। इस मंत्र को नाग गायत्री मंत्र के रूप में भी जाना जाता है। सर्प गायत्री मंत्र लिरिक्स निम्नलिखित प्रकार से है –

मंत्र

नव कुलाय विद्महे, विषदंठाय धीमहि, तन्नः सर्पः प्रचोदयात्।

अर्थ– हम नवकुल (नाग वंश) के दिव्य स्वरूप का ध्यान करते हैं, जो तीव्र विषयुक्त दंतों वाले हैं। हम उनके तेजस्वी स्वरूप का ध्यान करते हैं और वे हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।

यह मंत्र न केवल इन दोषों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह जीवन में शुभता, सुरक्षा और उन्नति भी प्रदान करता है। अपने दोषों को दूर करने के लिए आप इसके अलावा navagraha gayatri mantra का जाप कर सकते है जिसमे आपको नव ग्रहों जैसे शनि गायत्री मंत्र, राहु गायत्री मंत्र और केतु गायत्री मंत्र आदि मिल जायेगे।

Sarpa Gayatri mantra जाप की विधि

  1. शुभ समय: मंत्र का जाप करने के लिए नाग पंचमी, श्रावण मास, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इसके अलावा, प्रतिदिन सूर्योदय से पहले इस मंत्र का जाप करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
  2. स्नान: मंत्र जाप से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अपने मन और शरीर को शुद्ध करने के लिए गंगाजल छिड़कें।
  3. स्थान: मंत्र जप के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। अब उस स्थान पर बैठकर अपने मन को स्थिर करें।
  4. पूजन सामग्री: अगर आप पूजा के साथ मंत्र जाप करे है तो आपको निम्न सामग्री की आवश्यकता हो सकती है- नाग देवता की प्रतिमा या तस्वीर, गंगाजल, दूध, चावल और फूल, दीपक और धूपबत्ती, तांबे या चांदी के नाग का प्रतीक
  5. पूजन विधि: पूजा स्थान को साफ करें और वहाँ नाग देवता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अब नाग देवता को जल, दूध, हल्दी और चावल अर्पित करें और उनके सामने दीपक जलाकर धूप और अगरबत्ती से नाग देवता की आरती करें।
  6. मंत्र जाप: अब ऊपर दिए गए सर्प गायत्री मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ करें। जाप करते समय किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच से बचें।
  7. प्रार्थना: जाप के बाद नाग देवता से कृपा और सुरक्षा की प्रार्थना करें। अंत में प्रसाद वितरण करें और पूजा संपन्न करें।
  8. निरंतरता: यदि आप कालसर्प दोष या राहु-केतु दोष से पीड़ित हैं, तो इस मंत्र का 43 दिन या 108 दिन तक प्रतिदिन जाप करें।

यदि आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं, तो इस गायत्री मंत्र का जाप करें और नाग देवता की कृपा प्राप्त करें।

इस मंत्र का जाप करने के विशेष लाभ

  • कालसर्प दोष: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है, तो इस मंत्र का नियमित जाप करने से इस दोष का प्रभाव कम हो जाता है। इससे व्यक्ति को जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है।
  • राहु और केतु: राहु और केतु के अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई बाधाएँ उत्पन्न कर सकते हैं। इस मंत्र के जाप से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा: जो व्यक्ति सर्प भय या किसी अज्ञात डर से पीड़ित हैं, उनके लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी होता है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  • स्वास्थ्य: यह मंत्र शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। जिन लोगों को बार-बार बीमारियों का सामना करना पड़ता है, उन्हें इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • सफलता: इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में बाधाएँ कम होती हैं और उसे सफलता प्राप्त होती है। यह व्यापार, करियर और अन्य क्षेत्रों में उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • जीवन में स्थिरता: इस मंत्र का नियमित जाप करने से जीवन में स्थिरता बनी रहती है और व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है।

इस मंत्र का जाप करते समय पूरी श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें, तभी यह फलदायी होगा। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि यह भय, चिंता और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने का भी एक सशक्त माध्यम है।

FAQ

यह मंत्र कौन-कौन जप सकता है?

कोई भी व्यक्ति जो सर्प भय, कालसर्प दोष, या नाग संबंधी किसी भी समस्या से पीड़ित हो, वह इस मंत्र का जाप कर सकता है।

क्या यह मंत्र वास्तव में प्रभावी है?

मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?

क्या मंत्र को विशेष पूजा के साथ करना आवश्यक है?

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