Dhumavati Gayatri Mantra | धूमावती गायत्री मंत्र

धूमावती गायत्री मंत्र तंत्र साधना की अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली मंत्र हैं। इसलिए Dhumavati Gayatri Mantra सभी प्रकार की बाधाओं, कर्ज, शत्रु बाधा, मानसिक तनाव और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने में अत्यधिक प्रभावी है। यह मंत्र व्यक्ति को शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।

हिंदू धर्म के दस महाविद्याओं में से माँ धूमावती को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसलिए यह साधना शक्ति, आत्मनिर्भरता और निडरता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति कठिन परिस्थितियों से बाहर निकल सकता है। हमने आपके लिए इस मंत्र को यहां नीचे उपलब्ध कराया है –

मंत्र

ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि, तन्नो धूमा प्रचोदयात

जो व्यक्ति इस मंत्र का श्रद्धा और नियमपूर्वक जाप करता है, वह निश्चित रूप से माँ धूमावती की कृपा प्राप्त करता है। इनके साथ-साथ आप वाराही गायत्री मंत्र, कन्निक्का परमेश्वरि गायत्री मंत्र और बगलामुखी गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते है और अपने जीवन को बाधा मुक्त बना सकते है।

Dhumavati Gayatri Mantra जाप की विधि

इस मंत्र का जाप करने के लिए पूर्ण ध्यान, आत्मसमर्पण और निष्ठा की आवश्यकता होती है। मंत्र जाप के लिए उचित विधि का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त हो सके।

  1. स्वछता: सबसे पहले साधक को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। धूमावती देवी का पूजन विशेष रूप से रात्रि के समय किया जाता है, क्योंकि यह देवी तामसिक प्रकृति की मानी जाती हैं। साधक को एकांत स्थान पर बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  2. मूर्ति स्थापना: देवी की आराधना के लिए एक काले रंग के वस्त्र का आसन बिछाना उत्तम माना जाता है। पूजन स्थल पर देवी धूमावती का चित्र या मूर्ति स्थापित करनी चाहिए और उन्हें काले तिल, उड़द की दाल, नींबू और सरसों का तेल अर्पित करना शुभ माना जाता है। धूमावती माता को लाल फूलों की जगह पीले और सफेद फूल अधिक प्रिय होते हैं।
  3. मंत्र जाप: मंत्र जाप से पहले दीप जलाना और धूप अर्पित करना अनिवार्य होता है। इसके बाद साधक को पूर्ण श्रद्धा और मन की एकाग्रता के साथ इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  4. ध्यान: मंत्र जाप के दौरान माँ धूमावती की छवि या उनकी कल्पना करते हुए ध्यान लगाना चाहिए। जो व्यक्ति इस मंत्र का जाप करता है, उसे संयम और धैर्य रखना आवश्यक होता है।
  5. प्रार्थना: जाप के बाद माँ धूमावती से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। साधना पूरी होने के बाद, किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।

यदि आप जीवन में शांति, सफलता और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस गायत्री मंत्र का नियमित जाप करें।

इस गायत्री मंत्र के लाभ

माँ धूमावती की साधना करने और उनके गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत प्रभावी होता है, जो किसी न किसी समस्या से जूझ रहे होते हैं।

  • शत्रुओं से रक्षा: धूमावती गायत्री मंत्र का जाप करने से शत्रु पराजित होते हैं और व्यक्ति को उनकी बुरी शक्तियों से बचाव मिलता है। जिन लोगों को अपने जीवन में शत्रुओं से बार-बार परेशान होना पड़ता है, उन्हें इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
  • आर्थिक तंगी: जो लोग कर्ज, आर्थिक परेशानियों या गरीबी का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह मंत्र बहुत प्रभावशाली होता है। माँ धूमावती की कृपा से धन की वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
  • अकाल मृत्यु: इस मंत्र का जाप व्यक्ति को अकाल मृत्यु के भय से बचाता है। जिन लोगों को बार-बार मृत्यु का डर सताता है या जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उनके लिए यह मंत्र जीवनदायी सिद्ध हो सकता है।
  • बुरी शक्ति: माँ धूमावती की आराधना से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधा, और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। यह मंत्र व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना देता है।
  • मानसिक शांति: जो व्यक्ति मानसिक तनाव, अवसाद, चिंता या अन्य मानसिक परेशानियों से ग्रस्त हैं, उन्हें इस मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र मन को शांत करता है और व्यक्ति को आत्मिक शक्ति प्रदान करता है।
  • मोक्ष प्राप्ति: यह मंत्र केवल सांसारिक लाभों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर भी आगे बढ़ाता है। जो साधक मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावी होता है।

माँ धूमावती की कृपा से आपके जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी और आप एक नई ऊर्जा और शक्ति के साथ आगे बढ़ पाएंगे।

FAQ

माँ धूमावती कौन हैं?

माँ धूमावती दस महाविद्याओं में से एक हैं और इन्हें विधवा देवी के रूप में जाना जाता है। यह तंत्र साधना में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं और कठिन समय में भक्तों की रक्षा करती हैं।

इस मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

इस मंत्र का जाप रात्रि में क्यों किया जा सकता है?

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