केतु गायत्री मंत्र एक विशेष प्रकार का मंत्र है जो खासतौर पर ग्रह केतु को शांत करने और उसके नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए जपा जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में आंतरिक संघर्ष, भ्रम, और मानसिक अशांति का कारण बन सकता है। ऐसे में Kethu Gayatri Mantra का जाप करके आप इन परेशानियों से मुक्ति पा सकते है।
केतु को दक्षिणी छायाग्रह भी कहा जाता है, जिसका कुंडली में महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस गायत्री मंत्र का जाप करके, व्यक्ति इस ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को शांत कर सकता है। यह नवग्रह गायत्री मंत्र में से एक प्रमुख मंत्र जाना जाता है। तो अगर आप भी अपने ग्रह दोषों से मुक्ति पाना चाहते है निचे दिए गए इस मंत्र का जाप अभी करें। यह मंत्र कुछ इस प्रकार से है –
मंत्र
ॐ गदाहस्ताय विद्मिहे अमृतेशाय धीमहि,
तन्नो: केतु: प्रचोदयात।
यह मंत्र विशेष रूप से केतु के प्रभाव को शांत करने, मानसिक शांति लाने और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मदद करने के लिए है। अगर आप अपने जीवन में कोई संकट या अशांति महसूस कर रहे हैं, तो इस मंत्र का जप करने से निश्चित रूप से सुधार होगा यही नहीं इसके अलावा shani gayatri mantra, rahu gayatri mantra और surya gayatri mantra भी आपके ग्रहदोषों को दूर करने में सहायक होते है।
Kethu Gayatri Mantra का उपयोग करने की विधि
केतु गायत्री मंत्र का जप कुछ विशेष विधियों के अनुसार करना चाहिए ताकि इसका प्रभाव अधिकतम हो सके। यहां इस मंत्र के सही तरीके से जप करने की विधि दी जा रही है:
- स्थान की सफाई: सबसे पहले, उस स्थान को शुद्ध करें, जहां आप मंत्र का जाप करने वाले हैं। स्थान को शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखना चाहिए। यदि संभव हो तो पूजा स्थल या किसी शांत कमरे में इस मंत्र का जप करें।
- स्नान: स्थान के साथ-साथ स्वयं की शुद्धता भी अनिवार्य है इसलिए स्नान करके साफ और स्वच्छ कपड़ें पहने और अपने मन को भी शांत करें।
- आसान: एक साफ आसन पर बैठें, जो कुश की बनी हो। पूजा के दौरान अगर संभव हो तो केतु ग्रह का प्रतीक या चित्र रखें।
- आवश्यक स्थिति: मंत्र का जाप करते समय आपको ध्यान की स्थिति में होना चाहिए। अपने शरीर को स्थिर रखें, और आंखें बंद करके अपने मन को एकाग्र करें। अंगूठा और तर्जनी अंगुली को जोड़कर हाथों को घुटनों पर रखें, यह ध्यान की मुद्रा होती है।
- उच्चारण: मंत्र का उच्चारण धीरे-धीरे, स्पष्ट और एकाग्र होकर करें। हर शब्द को सही तरीके से उच्चारित करें ताकि उसका प्रभाव पूर्ण रूप से आपके जीवन में पड़े।
- ध्यान: इस मंत्र का जप करते समय ध्यान केंद्रित करना बेहद आवश्यक है। मानसिक शांति और आत्मविश्वास से मंत्र का जाप करने से इसके प्रभाव में वृद्धि होती है। अपने मन में केतु ग्रह की शक्ति और उसके शांतिपूर्ण प्रभाव का आह्वान करें।
इस मंत्र के निम्नलिखित लाभ है –
इसका जप करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस मंत्र का प्रभाव शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को बहुत लाभ पहुँचाता है। यहाँ कुछ मुख्य लाभ दिए गए हैं:
- नकारात्मक प्रभाव: केतु का प्रभाव जीवन में भ्रम, मानसिक अशांति, और आत्म-संकोच का कारण बन सकता है। इस मंत्र का जाप करके इन नकारात्मक प्रभावों को शान्त किया जा सकता है, और व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: केतु को एक अदृश्य ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को आत्मिक अनुभव और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। इस मंत्र के जप से व्यक्ति को आत्म-ज्ञान, ध्यान, और साधना में मदद मिलती है।
- धन और समृद्धि: इस मंत्र का जाप मानसिक अशांति को दूर करता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है। यह समृद्धि के नए द्वार खोलता है और आर्थिक संकटों से उबरने में मदद करता है।
- मन की शांति: केतु ग्रह की उपस्थिति मानसिक समस्याओं और भ्रम का कारण बन सकती है, लेकिन इस मंत्र के जप से मन में शांति और संतुलन आता है। यह मानसिक तनाव और चिंताओं को दूर करता है।
- दुखों से मुक्ति: केतु का प्रभाव व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्टों से उबरने में मदद करता है। इस मंत्र का नियमित जाप दुखों से मुक्ति दिलाने और सुख की प्राप्ति में सहायक होता है।
- रिश्तों में सुधार: जब केतु ग्रह का प्रभाव कुंडली में अशुभ होता है, तो यह रिश्तों में तनाव का कारण बन सकता है। इस मंत्र के जाप से रिश्तों में सामंजस्य बढ़ता है और रिश्तों में सुधार होता है।
- साधना: इस मंत्र का जप साधना और ध्यान के अभ्यास में सहायता करता है। यह व्यक्ति को आत्ममंथन की दिशा में मार्गदर्शन करता है और उसे ध्यान की गहराई में उतरने में मदद करता है।
- कुंडली दोष: जब केतु ग्रह से जुड़ी कोई भी दोषपूर्ण स्थिति हो, तो यह मंत्र उस दोष को नष्ट करने में सहायक होता है। इससे जीवन में आए संकट और चुनौतियों का समाधान मिलता है।
- उद्देश्य: इस गायत्री मंत्र जीवन में नई दिशा और उद्देश्य को जन्म देता है। यह व्यक्ति को जीवन के आध्यात्मिक उद्देश्य को पहचानने और उसे पाने के लिए प्रेरित करता है।
इस मंत्र के जप से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि आत्मिक उन्नति और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
FAQ
मंत्र का जाप करने के लिए सबसे उत्तम समय क्या है ?
मंत्र जाप के लिए सब्बसे उत्तम समय सुबह और शाम का समय है।
क्या इस मंत्र का जाप इंग्लिश में किया जा सकता है ?
हाँ, इसे आप किसी भी भाषा में कर सकते है।
इस मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
मंत्र का जाप 1800 बार करने से ज्यादा लाभकारी माना जाता है लेकिन कम समय के कारन आप 3, 5, 7, 11 और 108 बार भी मंत्र का जाप कर सकते है।
क्या मंत्र का जाप पूजा के बिना किया जा सकता है ?
हाँ, लेकिन जब आप मंत्र जाप के बाद फूल और चन्दन से पूजा जरते है तो इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।