कृष्ण गायत्री मंत्र, भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करने का एक अति प्रभावी और शाश्वत साधन है। Krishna Gayatri Mantra भगवान श्री कृष्ण की दिव्य शक्ति और आशीर्वाद को अपने जीवन में अनुभव करने के लिए साधकों द्वारा जाप किया जाता है। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में जो उपदेश दिए, वह न केवल भक्ति, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग रूपों को नमन करता है। इस मंत्र में श्री कृष्ण की महिमा, उनके रूप और उनकी शक्ति की वंदना की जाती है। जब कोई भक्त इस गायत्री मंत्र जाप करता है, तो वह भगवान श्री कृष्ण की दिव्य उपस्थिति को अपने जीवन में महसूस करता है। यह गायत्री मंत्र इस प्रकार है:
मंत्र
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥
इस मंत्र के जाप से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और प्रेम की भावना प्रबल होती है। इनके साथ आप अन्य देवी देवताओं जैसे विष्णु गायत्री मंत्र, रूद्र गायत्री मंत्र और लक्ष्मी गायत्री मंत्र को भी अपने जीवन में शामिल कर सकते है और इसका लाभ प्राप्त कर सकते है।
Krishna Gayatri Mantra जाप करने के नियम
सभी जगह पर मंत्र जाप करने और पूजा की विधि एक सामान नहीं होती है इसलिए आप अपने नियम के अनुसार भी इस मंत्र का जाप कर सकते है लेकिन हमने यहां एक समय विधि को विस्तार से बताया है जो इसक प्रकार से है –
- स्थान का चयन: इसे किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर करना चाहिए, जहां कोई विघ्न न हो। यह स्थान आपके मन को शांत और ध्यानमग्न बनाने में मदद करेगा।
- तैयारी: मंत्र जाप से पहले अपने शरीर को शुद्ध करना आवश्यक है। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और मन को शांत करें। कुछ देर ध्यान लगाकर अपने विचारों को एकाग्र करने की कोशिश करें।
- मंत्र का जाप: यह मंत्र श्रद्धा और विश्वास के साथ उच्चारित करें। हर शब्द पर ध्यान केंद्रित करें और उसे स्पष्ट रूप से बोलें। कृष्ण गायत्री मंत्र का जाप एक लय में और धीरे-धीरे करें, ताकि हर शब्द का असर हो।
- माला का प्रयोग: माला का प्रयोग मंत्र जाप में किया जाता है। रुद्राक्ष या तुलसी की माला का इस्तेमाल विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- एकाग्रता: मंत्र के जाप के दौरान ध्यान की अवस्था में रहना आवश्यक है। अपने मन को श्री कृष्ण के रूप और गुणों में समर्पित करें। जैसे ही आप मंत्र का जाप करेंगे, अपने मन में श्री कृष्ण की उपस्थिति का अनुभव करें। य
- प्रसाद: मंत्र जाप के बाद भगवान श्री कृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करें और उन्हें तुलसी के पत्ते या माखन-मिश्री का प्रसाद अर्पित करें। यह प्रसाद श्री कृष्ण की कृपा को आकर्षित करने का एक तरीका है।
- नियमितता: इस गायत्री मंत्र का जाप नियमित रूप से करें। नियमितता से मंत्र का प्रभाव जीवन में ज्यादा महसूस होता है और व्यक्ति के मन में श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव होता है।
यह मंत्र न केवल भगवान श्री कृष्ण की कृपा को आकर्षित करता है, बल्कि मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सफलता की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है।
गायत्री मंत्र के लाभ
इसका जाप जीवन में कई लाभ लेकर आता है। यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण की कृपा को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। आइए, जानते हैं गायत्री मंत्र के कुछ प्रमुख लाभ:
- आत्मिक उन्नति: इस मंत्र का जाप व्यक्ति की आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत लाभकारी है। आत्म-साक्षात्कार की ओर यह मंत्र एक मार्गदर्शक की तरह कार्य करता है।
- आशीर्वाद: जब कोई व्यक्ति इस मंत्र का जाप करता है, तो वह भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से भरा हुआ महसूस करता है और उनके दिव्य मार्गदर्शन से जीवन की समस्याओं का समाधान प्राप्त करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: कृष्णजी के गायत्री मंत्र वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भरता है। यह मंत्र नकारात्मक विचारों और ऊर्जा को दूर करता है, जिससे व्यक्ति के आस-पास का माहौल भी शांत और सौम्य बनता है।
- प्रेम रक्षा: इस मंत्र के जाप से आपका प्रेम सम्बन्ध बना रहता है और आपका प्रेम मजबूत और सुरक्षित रहता है।
- समाधान: माना जाता है कृष्ण ने गीता में हर समस्यां का समाधान बताया है, ऐसे में यह मंत्र व्यक्ति को अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढने की शक्ति प्रदान करता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: इसका जाप शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है, जो शारीरिक रूप से भी व्यक्ति को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाता है।
- कृतज्ञता: मंत्र का जाप व्यक्ति में भगवान के प्रति कृतज्ञता और भक्ति का भाव पैदा करता है। यह भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और जीवन को एक दिव्य दृष्टिकोण से देखता है।
FAQ
इस मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?
मंत्र का जाप कम से कम 108 बार किया जाना चाहिए। यदि समय कम हो तो 27 या 54 बार भी इसका जाप किया जा सकता है।
क्या इस मंत्र का जाप कोई भी कर सकता है ?
हाँ, इस मंत्र का जाप कोई भी कर सकता है, इसके लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है।
मंत्र जाप के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है।
मंत्र जाप के लिए सबसे अच्छा समय सुबह सूर्योदय से पहले और शाम को सूर्यास्त के बाद का समय सबसे अच्छा मन जाता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ में गहरी रुचि रखती हूँ। गायत्री मंत्र का रोजाना जाप करती हूँ। मां दुर्गा से संबंधित मंत्र, आरती, चालीसा और अन्य धार्मिक सामग्री साझा करती हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को सही पूजा विधि सिखाना और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करना है।